किसी ने ये शिकायत दर्ज कराई....
आजकल तुम लिखते नही?
लड़खड़ाते लब्ज़ में कहा हमने...
अभिलाषाओं के जंजीरों में कस गया हूँ..
जिंदगी के अफसाने में यूँ खो गया हूँ..
स्याही किधर, औराख़ (pages)किधर... सब भूल गया हूँ
सब भूल गया हूँ, सब भूल गया हूँ।।
आजकल तुम लिखते नही?
लड़खड़ाते लब्ज़ में कहा हमने...
अभिलाषाओं के जंजीरों में कस गया हूँ..
जिंदगी के अफसाने में यूँ खो गया हूँ..
स्याही किधर, औराख़ (pages)किधर... सब भूल गया हूँ
सब भूल गया हूँ, सब भूल गया हूँ।।
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